तु जिससे लड़ रहा था वो तो बह गया ,
जो तुझसे लड़ रहा था वो भी बह गया,
तु जिसको चाहता था उसको खोजे
जो तुझ को चाहता था तुझ को खोजे
ग़म हो खुशी हो,बहते वक़्त में टिकती नहीं है
किसी बाज़ार में क्यों राहते बिकती नहीं है
वक़्त की धार में सब बह के बदल जाते है
कुछ पीछे रहे,कुछ आगे निकल जाते हैं,
वो कड़वी याद और वो डर कोई भूल कैसे
भुला के कल को कहो,आज को जी ले कैसे
तो
क्या किसी की भूल की ताउम्र सजा लोगे तुम
ऐसे ज़िन्दगी का क्या खाक मज़ा लोगे तुम
क्या कभी दुनिया की भूलों में कुछ कमी होगी
क्या तेरे दिल में गुस्सा,आंख में बस नमी होगी
ये सब भूलना आसा नहीं है,मुश्किल भी नहीं है
रास्ते इसलिए खोए है क्युकी मंज़िल भी नहीं है
कोई नादान छोटू ख्वाब ही फिलहाल काफी है
जो गिला न शिकवा न हो वो खयाल काफी है
छोड़ो तो सब छूटे,यू भी कौन पकड़ पाया है
वक़्त के आगे, मै तू क्या,कौन अकड़ पाया है
समय की धार में बह जा रेे पगले
कहीं पहुंचे न पहुंचे, राह के नज़ारे तेरे है
कोई नाराज़ ऐसा है कि वो नाराज़ रह जाए
अगर तू प्यार से देखे तो बाकी सारे तेरे है
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