Aapki dosti aapki zindagi nikharti he.
Par dosti ho har umra ke logo se.
हर उम्र के लोग आपके दोस्त हो तो क्या होता है?
अपनी उम्र के लोग हमें आजादी महसूस कराते है।
पूरा समझ सकते है।पर ऐसा कम हो पा रहा है।
छोटी उम्र के लोग आपको एनर्जी से भरपूर रखते है।अपडेट करते है नए बदलाव से।
सीनियर्स - बड़ी उम्र वाले हमें वो बता सकते है जो हमारे पैदा होने के 20 या 50 साल पहले गुजर गया।
पर वो चिढ़ गए तो उनके फंडे आपकी जान ले लेंगे।
जब हम उनसे रिसोर्सेस लेकर उनके हक का थोड़ा सा वक़्त और आदर नहीं देते तब होती है नॉकिंग शुरू।
1-2साल के किड्स तो आपको ऐसी उड़ान देंगे जो कहीं और मिलती ही नहीं।
कैसे पता करे कि मेरा सर्कल,दोस्त या फैमिली सही है या नहीं?
दोस्त वो होता है जो मुझे खुद से मिला दे।उसके सामने मुझे कुछ और बनने का नाटक ना करना पड़े।
दोस्त या फैमिली से मिलने की बात सुनते ही अंदर गुदगुदी होने लगे।कब मिलेंगे।मज़ा आ जाएगा।
अंदर अगर प्रेशर महसूस हो और मिलने के पहले बहुत तैयारी लगे तो
या तो वो लोग सही नहीं है।
या
उनके साथ आपके कनेक्शन काफी लूज हो गए है।
90% लोग लूज कनेक्शन से परेशान है क्यूंकि हर बन्दा किसी धुन में घुसा पड़ा है।
खुद के लिए भी वक़्त ठीक से नहीं निकाल पा रहा है तो किसी और के लिए कैसे निकाले?
हम बस वही काम नहीं कर पाते जो हमे ज़रूरी नहीं लगता। जैसे ही डॉक्टर हार्ट प्रॉब्लम बताता है कि टहलना आसान हो जाता है।
दोस्त ही तो एनर्जी देते है , नेटवर्क भी उनके वेब से बनता जाता है।
पर कंफर्ट ज़ोन में उलझ के अगर हम अपने 3-4 लोगों में घिरे रह जाए जब कि भीतर से उनसे मिलने का में भी नहीं कर रहा,तो उसे दोस्ती मत मानो।अब वो एक लत में बदल चुकी है।
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