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अब कुछ भी, देर तक

अब कुछ भी, देर तक गलत, ना सही लगता है। ख़ुद के झान्से में मत आ फिर, यही लगता है। कहानी सपने दिखाती थी, कविता झकझोर देती थी। अब कुछ नहीं,हर फ़लसफ़ा, सतही लगता है। गुस्सा चिड़चिड़ में बदल गया, मोहब्बत बदली तानों में। नया कुछ करो फिर भी सब, वही वही लगता है। अब कुछ भी, देर तक गलत, ना सही लगता है। ख़ुद के झान्से में मत आ फिर, यही लगता है।
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वक़्त की धार में बह जा रे

तु जिससे लड़ रहा था वो तो बह गया , जो तुझसे लड़ रहा था वो भी बह गया, तु जिसको चाहता था उसको खोजे जो तुझ को चाहता था तुझ को खोजे ग़म हो खुशी हो,बहते वक़्त में टिकती नहीं है  किसी बाज़ार में क्यों राहते बिकती नहीं है वक़्त की धार में सब बह के बदल जाते है कुछ पीछे रहे,कुछ आगे निकल जाते हैं, वो कड़वी याद और वो डर कोई भूल कैसे भुला के कल को कहो,आज को जी ले कैसे तो  क्या किसी की भूल की ताउम्र सजा लोगे तुम ऐसे ज़िन्दगी का क्या खाक मज़ा लोगे तुम क्या कभी दुनिया की भूलों में कुछ कमी होगी क्या तेरे दिल में गुस्सा,आंख में बस नमी होगी ये सब भूलना आसा नहीं है,मुश्किल भी नहीं है रास्ते इसलिए खोए है क्युकी मंज़िल भी नहीं है कोई नादान छोटू ख्वाब ही फिलहाल काफी है जो गिला न  शिकवा न हो वो खयाल काफी है छोड़ो तो सब छूटे,यू भी कौन पकड़ पाया है वक़्त के आगे, मै तू क्या,कौन अकड़ पाया है समय की धार में बह जा रेे पगले कहीं पहुंचे न पहुंचे, राह के नज़ारे तेरे है कोई नाराज़ ऐसा है कि वो नाराज़ रह जाए अगर तू प्यार से देखे तो बाकी सारे तेरे है

बाहर बाहर पूजे मुझको दुनिया रे

बाहर बाहर पूजे मुझको दुनिया रे भीतर भीतर घुरे मोरा मनवा रेे दुनिया जो रूसे तो फिर भी चल जाए मनवा ना माने तो कुछ ना चलना रे कुछ कुछ तुझसे कहता रहता ये दिल है ज़रा ठहर सुन ले  मानाकि मुश्किल है तू जाने किस किस गिनती में भागे रे दुनिया बोले रहना सबसे आगे रे जी भर ना खा पाया ना तू सो पाया रोज़ ही एक नई उलझन में जागे रे खुदा के नाम पे गिनती वफा के नाम पे गिनती कभी वॉट्सएप पे ट्वीटर पे या इंस्टाग्रम पे गिनती  दौलत की गिनती में डरता रह गया शोहरत की गिनती में उलझा रह गया रिश्तों की गिनती में लाइक्स बढ़ा लिए  फोन में घुस के गहरे रिश्ते गवां दिए जी चाहे तो हिमालय पर चढ़ जाना जी ना चाहे आंगन में ही पसर जाना दुनिया भर में एक अपना सा काफी है साथ जो कोई है तो डर ना लगना रे कोई पल पाए पहले खुद जी लेना फिर पगले जी चाहे तो सेल्फी लेना  इस पल पल में पहले गहरा उतरना है खुद ना भोगा वो क्या शेयर करना है 

new Ghazal yaki nahi he

किसी को भी ,किसी पे भी कोई यकीं नहीं है हां,मिलने जुलने वालो की कोई कमी नही है कोई मिला अच्छा लगा बस चार हफ्तों तक कब कहा गलत है वो,लेकिन सही नही है क्या लेने चले थे और क्या क्या हासिल कर लिया जो एक चीज दिल को छू पाती,बस वही नही है उसे जाने,भरोसा करके दिल की बात कह डाले इसमें वक्त लग जाता है जो शायद अभी नहीं है  क्यो उतना और भागे हर दफे मायूस हो हो कर हमे मालूम है जो ढूंढते है अब तो कही नही है लड़ना हो, हंसना रोना हो,पर खालीपन ना हो मेरे घर दोस्त है, दुश्मन है मगर अजनबी नही है किसी को भी ,किसी पे भी कोई यकीं नहीं है हां,मिलने जुलने वालो की कोई कमी नही है Muzpe yakin ghat raha he faasle badha lo, Mere alaawa aur kahin kuchh silsile bana lo, Umra bhar ki ye ghutan Jaan hi le legi, Behtar yahi he kuchh dino ki taklife utha lo.

poetry

har haadse ke baad shikwa hi raha fir bhi jo hona tha ,wo hota hi raha arsaa guzra ,mud ke dekha toh yahi paya jo bhi ,jaisa bhi hua ,achchha hi raha Aisa to nahi ki ham sab samaz gaye haalat fir se aaye,ham fir ulaz gaye kuchh log ro ro ke bhi hasna sikh gye jisko rone li lat lagi wo rota hi raha kuchh bhi kar liya aur din guzar gaya paani nahi tha toh jag hawa se bhar gaya koi kuchh bhi kare log sawal naa kare sab gum he ,toh sab sahi jo bhi jidhar gaya saari Masti chhodkar dinbhar rupye jodkar zindagi khaali hi rahi Bahi  khata bhar gaya sab dekh rahe muzko soch ke saja subah se raat ko aaina dekha khud se hi darr gaya har roz ghar se nikla  khoje khwab khushi khoke rooh bhatkati reh gayi bas jism ghar gaya kuchh log vicharo me consistent hote he kuchh log kaam me, unke vichar bikhar jaate he ,kaam chalta rehta he. sahi galat toh koi tay nahi kar sakta, par vicharon me nirantarata muze jyada zaruri lagi. bharam ki aag jalti he  vicharon ke patto se, patte ye jab mere a...

अपना सच बचा ले,

अपना सच बचा ले, घर में बैठे-बैठे घर से दूर कर देगा, ये फ़ोन तरे सच को चुर-चुर कर देगा। जिसके लिए जीता है, उसी पर ध्यान न होगा, सोचेबिना, जाने बिना तू ये कसूर कर देगा। जो कुछ ज़रूरी है, उसे टालेगा हर पहर, जोकुछ बेकार है, वो तो तू ज़रूर कर लेगा। जो तेरे दिल में बैठे हैं, उन्हीं पर पर्दा डालकर, किसीअजाने को तू घूर-घूर मशहूर कर देगा। तूने कोशिश ही नहीं की, ये ख़बर कहाँ होगी, हर नाकामी किस्मत मानकर मंज़ूर कर लेगा। पंकज जैन

Apna Sach bacha le

Apna Sach bacha le Ghar me baithe baithe ghar se dur kar dega Ye phone tere sach ko chur chur kar  dega jiske liye jeeta he usi par dhyan na hoga, Soche bina , jaane bin tu ye kasoor kar dega jo kuchh zaruri he use talega har pahar jo kuchh bekar  he , woh toh tu zarur kar lega jo tere dil me baithe he,unhi par parda dalkar kisi anjaane ko ghoor ghoor  tu mashhoor kar dega Tune koshish hi nahi ki, ye khabar kaha hogi har nakami  kismat maankar manjur kar lega Pankaj Jain